1....क्यों व्यर्थ चिन्ता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन
तुम्हें मार सकता है? आत्मा न पैदा होती है, न मरती है,
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है। जो
होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो।
भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाये थे, जो तुमने खो दिया ? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया? न तुम कुछ लेकर आये, जो लिया यहीं से लिया, जो दिया यहीं से दिया। जो लिया इसी (भगवान) से लिया। जो दिया, इसी को दिया। खाली हाथ आए, खाली हाथ चले । जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा। तुम इसे अपना समझकर मग्न हो रहे हो। बस यह प्रसन्नता ही तुम्हारे दुःखों का कारण है।
परिवर्तन ही संसार का नियम है। जिसे तुम मृत्यु समझते हो, वही तो जीवन है। एक क्षण में तुम करोड़ों के स्वामी बन जाते हो, दूसरे ही क्षण में तुम दरिद्र हो जाते हो। मेरा-तेरा, छोटा-बड़ा, अपना-पराया मन से मिटा दो, विचार से हटा दो, फिर अब तुम्हारा है, तुम सबके हो ।
न यह शरीर तुम्हारा है, न तुम शरीर के हो यह अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश से बना है और इसी में मिल जायेगा। परन्तु आत्मा स्थिर है, फिर तुम क्या हो तुम अपने आपको भगवान् के अपित करो। यह सबसे उत्तम सहारा है जो इसके सहारे को जानता है, वह भय, चिन्ता शोक से सर्वदा मुक्त है।
जो कुछ तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। इसी में तू
सदा जीवन-मुक्त अनुभव करेगा।
2....क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।
जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।
3...गीता-सार
जो हुआ अच्छा हुआ।
जो हो रहा है वह अच्छा हो रहा है।
जो होगा वह भी अच्छा ही होगा।
तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाये थे
जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था
जो नष्ट हो गया।
तुमने जो लिया यहीं से लिया। जो दिया, यहीं पर दिया।
जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था।
परसों किसी और का हो जायेगा। परिवर्तन संसार का नियम है।
4....जो हुआ वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है । जो होगा, वह भी अच्छा होगा । तुम्हारा क्या गया, जो तुम रोते हो? तुम क्या लाये थे, जो तुमने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया, जो नष्ट हो गया? तुमने जो लिया, यहीं से लिया; जो दिया, यहीं पर दिया; जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था,
कल किसी और का होगा ।
परिवर्तन ही संसार का नियम है
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